Prisoner of thinking

हम अपने आपको खुद अपनी सोच का गुलाम बना लेते है।एक इंसान को अपने प्रति ईमानदार होना चाहिए।जिंदगी आपको एक बार मिलती है और इस यू ही बर्बाद कर देना कहा कि समझदारी की बात है।

कुछ लोग सामान्य जिंदगी में डूब चुके है उनका कुछ नही किया जा सकता पर हम अपने आप को तो देख सकते है ना।

हर इंसान के लिए उसका एक मनपसंद और सर्वश्रेष्ठ कार्य होता है जिसके लिए वो अपनी हर बाजी लगा देता है।पर जब वह उस चीज़ को पा कर वही बैठ जाता है फिर समय काटना शुरू कर देता है।

अबतक वह आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रहा था पर अब वो एक जगह आराम से बैठ जाता है।यही पर वह पीछे होना शुरू हो जाता हैं।

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